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FAUZIA AKHTER RIDA |तीन हिन्दी ग़ज़लें

Yaadein Shayari-याद शायरी इन हिंदी फॉर गर्लफ्रैंड

फ़ौजिया अख़्तर रिदा की तीन ग़ज़लें

तीन ग़ज़लें

अपनों की याद शायरी-Teri yaad shayari

ग़ज़ल
1

उसकी यादों के सायबान में हूं
कितनी महफ़ूज़ इस जहान में हूं

शाख रिश्तों की फिर न कोई बची
अब जो रहने लगी मकान में हूं

याद भरी शायरी-Miss You Shayari

मुझको मंज़िल की जुस्तजू है मगर
इस सफ़र पर मिली तकान में हूं

जब से आदी ये दिल जफ़ा का हुआ
मैं मुसलसल तेरी अमान में हूं

बात मेरी ही फिर चढ़ी फौजी
मैं निहा प्यार की जुबान में हूं

अश्क़ शायरी प्यार में आंसू शायरी

ग़ज़ल

2

अश्कों के समंदर में किनारे नहीं मिलते
अब डूबने वालों को सहारे नहीं मिलते

मिलने के भी आसार तुम्हारे नहीं मिलते
सच है कि मोहब्बत में सितारे नहीं मिलते

कुछ अश्क चुरा लेती हैं इज़हार को आंखें
बस रंज- व -अलम दिल को ही सारे नहीं मिलते

नेकी तेरी जो लौट ही आई है तेरे पास
एहसान के सौदे में ख़सारे नहीं मिलते

मिलते हैं अदावत से ही जीवन में सभी लोग
दुश्मन तो मिला करते हैं प्यारे नहीं मिलते

वैसे तो मेरी ज़ात में शामिल है सदा वह
खमोश से दरियाओ के धारे नहीं मिलते

दुनिया के गुलिस्तान के सभी फूल खिले हैं
इस दिल के चमन में ही नजारे नहीं मिलते

हैं राज वो गहरे जो मेरे दिल में छुपे हैं
अख्तर ने ये समझा था शरारे नहीं मिलते

हुस्न दीदार शायरी

ग़ज़ल

3

हुस्न की आन बान चलती रही
बेखुदी बेतकान चलती रही

आगाही बाल व पर को मिलते हैं
बेतहाशा उड़ान चलती रही

उसको रुकना महाल था अक्सर
इश्क़ की दास्तान चलती रही

बात दिल में रह गई फिर भी
जिंदगी बेजुबान चलती रही

रूह को भी करार आ ही गया
और फिर मेरी जान चलती रही

रब्त सुद व जीयां हो न सका
यूं रिदा की दुकान चलती रही
फ़ौजिया अख्तर रिदा

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