21 मार्च को कौनसा दिवस मनाया जाता है?
विश्व गौरैया दिवस कब मनाया जाता है
मैं गौरैया बोल रही हूँ
अंतरराष्ट्रीय गौरैया दिवस 20 मार्च
मैं गौरैया बोल रही हूँ, पोल खोल रही हूँ,
सुनो दुनियावालों, मेरी दर्द भरी कहानी!
मैं मरती रही, मिटती रही, चीखती रही,
किसी ने नहीं की, थोड़ी भी मेहरबानी।
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
किसी ने घर से, घोंसला उजाड़ दिया था,
किसी ने बंद कर दिया मेरा दाना पानी।
बहुत गिरगिराई थी और रोई थी मैं तब,
जब लोग ले रहे थे, मेरे कल की कुर्बानी।
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
मेरे घाव बहुत गहरे हैं, और भरे नहीं है,
इंसान के लिए बात हो सकती है पुरानी।
अब मैं सिमट गई हूँ, विलुप्त हो रही हूँ,
पता नहीं दुनिया क्यों हो रही है दीवानी?
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
प्रकृति नाराज हुई तो, मेरी याद आई है,
मेरे साथ, हर प्राणी ने की थी बेईमानी।
मेरी जाति ने, पर्यावरण का साथ दिया,
कौन लौटाएगा मुझे, मेरी शाम सुहानी?
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर (मधुबनी) बिहार
सुनो दुनियावालों, मेरी दर्द भरी कहानी!
मैं मरती रही, मिटती रही, चीखती रही,
किसी ने नहीं की, थोड़ी भी मेहरबानी।
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
किसी ने घर से, घोंसला उजाड़ दिया था,
किसी ने बंद कर दिया मेरा दाना पानी।
बहुत गिरगिराई थी और रोई थी मैं तब,
जब लोग ले रहे थे, मेरे कल की कुर्बानी।
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
मेरे घाव बहुत गहरे हैं, और भरे नहीं है,
इंसान के लिए बात हो सकती है पुरानी।
अब मैं सिमट गई हूँ, विलुप्त हो रही हूँ,
पता नहीं दुनिया क्यों हो रही है दीवानी?
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
प्रकृति नाराज हुई तो, मेरी याद आई है,
मेरे साथ, हर प्राणी ने की थी बेईमानी।
मेरी जाति ने, पर्यावरण का साथ दिया,
कौन लौटाएगा मुझे, मेरी शाम सुहानी?
मैं गौरैया बोल रही हूँ…
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र) जयनगर (मधुबनी) बिहार
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