सब पे साया है तेरी रहमत का-हम्द बारी ताला हिंदी में लिखी हुई
हम्द
सब पे साया है तेरी रहमत का।
क्या ठिकाना है तेरी कुदरत का।
सब पे साया है तेरी रहमत का।
क्या ठिकाना है तेरी कुदरत का।
तू ही यकता है सारे आलम में।
कौन सानी है तेरी अज़मत का।
जिसको चाहे उसे अता कर दे।
तू ही मालिक है बाग़े जन्नत का।
जिन्नो इन्सान क्या फ़रिश्ते भी।
गीत गाते हैं तेरी वहदत का।
रंग लाती हैं मेहनतें लेकिन।
तू ही मालिक है फिर भी क़िस्मत का।
कोई मालिक नहीं सिवा तेरे।
तुझको हासिल है हक़ इबादत का।
कोई मालिक नहीं सिवा तेरे।
तुझको हासिल है हक़ इबादत का।
है तमन्ना फ़राज़ के दिल की।
हो समाँ चार सू मुहब्बत का।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ पीपलसाना
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तू ही नाज़िर है तू ही नास़िर है-हम्द अल्लाह ताला लिरिक्स इन हिंदी
हम्द
तू ही नाज़िर है तू ही नास़िर है।
तू ही ख़ालिक़ है तू ही क़ादिर है।
तू ही नाज़िर है तू ही नास़िर है।
तू ही ख़ालिक़ है तू ही क़ादिर है।
ख़ुल्द में जायेगा यक़ीनन वो।
दिल गुनाहों से जिसका ताहिर है।
उस को कोई कमी नहीं रहती।
तेरी रहमत पे जो भी शाकिर है।
तेरी वह़दानियत यहाँ सब पर।
ज़र्रे - ज़र्रे से साफ़ ज़ाहिर है।
हम से दीवाने यह ही कहते हैं।
ह़क्मे रब पर तो जान हाज़िर है।
कौन माहिर है शेअ़र कहने में।
तू नवाज़े जिसे वो माहिर है।
जिन्नो इन्सान क्या फ़रिश्ते क्या।
तेरी मख़लूक़ तो ये सामिर है।
जो हुनर भी फ़राज़ रखते हो।
सब ये रब की अता है ज़ाहिर है।
सरफ़राज़ हुसैन फ़राज़ मुरादाबाद
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