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गुरु तेग बहादुर जी पर कविता Poem On Guru Teg Bahadur Ji Hindi

गुरु तेग बहादुर पर कविता Poem On Guru Teg Bahadur Ji In Hindi

गुरु तेग बहादुर जी हैं हम सब के भगवान
धर्म की खातिर दे दी इन्होंने अपनी जान।
कर दिया क्रूर औरंगजेब का अहंकार चूर चूर,
ग़रीब दुखियारी के कष्टों को किया आपने दूर।
मुग़ल पापीयों का था, हर तरफ बोलबाला।
ऐसे कठिन समय पर आप बने सब का सहारा।
आओ करें हम गुरु तेग बहादुर जी का गुणगान,
इन्हीं के लिए है संसार का सारा मान और सामान।
पढ़िए —गुरु तेग बहादुर पर निबंध Guru Teg Bahadur Par Nibandh

हे गुरु तेग बहादुर आप कहां हैं? गुरु तेग बहादुर जी पर कविता

हे गुरु तेग बहादुर आप कहां हैं?
आज फिर संसार को आपकी आवश्यकता है,
भटके हुओं को गुरु वाणी की आवश्यकता है,
जो गलत राह पर हैं उन्हें दिशा की आवश्यकता है,
आपने कहा था —
ईश्वर एक है, सर्वशक्तिमान है।
परंतु इस समय हो रहा ईश्वर का अपमान है।
हे गुरु तेग बहादुर आप कहां हैं?
आज फिर संसार को आपकी आवश्यकता है,
भटके हुओं को गुरु वाणी की आवश्यकता है,
जो गलत राह पर हैं उन्हें दिशा की आवश्यकता है,

शहादत श्री गुरु तेग बहादुर शीशगंज गुरूद्वारे में

शीश देकर धर्म की खातिर,
अडिग रहे स्वाभिमान को।
वीर क्रांतिकारी गुरु तेग बहादुर जी,
तज दिया अपनी जान को।
14 वर्ष की उम्र थी नन्ही,
मुगलो को धूल चटाया था।
शीश झुका कर गुरु तेग बहादुर को,
हम सब वंदन करते हैं।
बात बताऊं बलिदानी गुरु जी की,
बलिदानों की कथा सुनाता हूँ।
उपकार बहुत हैं गुरु तेग जी के,
सच्ची बात बताता हूँ।
सात समुद्र को सयाही कर दूं
फिर भी लिखा न जाएगा।
किस्से इन के बहुत बड़े हैं,
किताबों में समा ना पाएगा।
गुरु तेग बहादुर से मिलने को,
कुछ कश्मीरी पंडित आये थे।
मुस्लिम अत्याचारो से वह सभी,
लग रहें बहुत घबराये थे।
मुस्लिम सबको बना रहा था,
औरंगजेब पापी, कुकर्मी
और था बहुत अत्याचारी, अधर्मी।
यह सब सुनकर रोंगटे खड़े हो गए,
गुरु तेग बहादुर के हाथ कृपाण पर पहुच गये।
सांस खीचकर बोले गुरु जी,
बड़ी कुर्बानी देगा कौन?
काम किया गुरु तेग ने ऐसा,
धरती अम्बर डोल गए।
9 साल के नन्हे गुरु गोविंद जी,
सबके सामने बोल गए।
कहा पिताजी उस शव पर,
भारत की बुनियाद खड़ी होगी।
औरंगजेब पापी से आप लड़ें,
कुरबानी बहुत बड़ी होगी।
औरो के लिए हर अत्याचार सहते गए,
लेकिन अड़े रहें हिम्मत से।
पापी औरंगजेब ने डर कर,
गुरु तेग का शीश कटवा दिया।
गुरु की शहादत ने सबके दिलों में,
इक नया हौसला जगा दिया।
कभी मत झुकने देना गुरु,
तेग बहादुर के सम्मान को।
मैं अब भी शीश झुकाता हूँ,
उस दिल्ली के गलियारों में,
जहाँ गुरु जी ने शीश दिया था,
शीशगंज गुरूद्वारे में।

शहादत ए आज़म गुरु तेग बहादुर साहिब जी

क़हर बरसा रहा था वो जल्लाद,
कश्मीरी पंडितों का जनेऊ था उतारा,
उस क़ातिल औरंगज़ेब ने किया कत्लेआम,
"इस्लाम कबूलो" उसका था ये नारा।
त्राहि-त्राहि कर रहा था हिंदुत्व,
दहल रहा हिंदुस्तान था सारा,
खून के आंसू रो रहा था हर जन,
लाचार,बेबस,दिखता ना था कोई सहारा।
लेके फ़रियाद कश्मीरी पंडितों ने,
गुरु के आगे आप बीती सुनाई,
रोक लो उस ज़ालिम को सतगुरु,
सब ने मिलकर गुहार लगाई।
ध्यान धरा तेग बहादुर जी ने,
अपने पूर्वजों की सुद्धि रमाई,
प्रेम से सबको गले लगाया,
कहा.."करूंगा मैं सब की अगुवाई"।
"जाओ उस वेरी से कह दो..
पहले मुझको इस्लाम कबूलवाओ
बन जाएंगे हम भी अल्लाह के,
पहले उस सिख को मुसलमान बनाओ।
पैग़ाम जब औरंगज़ेब ने पाया,
आग बबूला हो गया वो आतताई,
बंदी बना लो उस सिख को,
करिंनदों को उसने आज्ञा फरमाई।
बंदी बनाकर गुरुजी को उसने,
दिल्ली के दरबार में पेश किया,
कुबूल करो इस्लाम को सरदारा,
गुरुजी को उसने हुक्म दिया।
सिख हूं मैं, सिखी मैं रहता हूं,
तुम अपना भ्रम तोड़ दो,
कबुलवा लोगे इस्लाम मुझसे..
यह सपना तुम छोड़ दो।
सुन बात गुरुजी की..
औरंगजेब को पसीना था आया,
काल कोठरी में डाल दो इसे,
सैनिकों को फ़रमान सुनाया।
बड़े तसीहे दिए उस ज़ालिम ने,
पर गुरु की हठ तोड़ ना पाया,
बीज चांदनी चौंक दिल्ली में,
उनका शीश था कलम करवाया।
वार के अपनी जान धर्म पर,
अपने जीवन के कर्तव्य निभाए,
श्री गुरु तेग बहादुर शहादत पाके,
"हिंद की चादर" नाम कहाए।।
हरजीत सिंह मेहरा
लुधियाना पंजाब।
85289-96698

गुरू तेग बहादुर मनहरण घनाक्षरी Poem On Guru Teg Bahadur Ji

गुरु तेग बहादुर जी फोटो - Guru Teg Bahadur Ji Image

गुरु तेग बहादुर जी फोटो - Guru Teg Bahadur Ji Image

गुरू तेग बहादुर

महान निर्भिक सुत
डरा न सका भी भूत
साहसी का सच्चा रूप
राष्ट्र के वो मान थे।

लेकर सबका साथ
थामते निर्बल हाथ
चलते शीश को उठा
जनता की जान थे।

हरगोविंद के वो लाल
चलेते घोड़े सी चाल
मधुर उनकी वाणी
गुरू वो महान थे।

छायी शत्रु की घटा
सिर भी उनका कटा
डटे रहे धर्म पथ
अतुल मुस्कान थे।

रीतु प्रज्ञा
दरभंगा, बिहार
स्वरचित एवं अप्रकाशित

गुरु तेग बहादुर पर कविता Guru Teg Bahadur Ji Poem In Hindi

यहाँ बातें करते हैं लोग।
मरते और जीते हैं लोग।
परमार्थ में प्राण तज दिया,
धर्मवीर कहते उन्हें लोग।
मान रखा गुरुओं का जिसने
लाज बचाई हिंदी की जिसने
निज लोभ के मोह को त्याग दिया
ज्ञान दिय स्वाभिमाना का जिसने
गुरु तेग के मुख पर तेज़ अपार
बालक के दुश्मन भी बैठे थे तैयार
पर गुरु-पिता की सीख थी संग
थी तेज बड़ी उनकी तलवार

साथ समय के बढ़ा बालक
विद्या ली और बन गया पालक
प्रेम, त्याग, सहृदय, बलिदान
गुण थे उनमें ये सब विद्यमान

देश में था तब बड़ा अत्याचार
मचाई थी पापी ने हाहाकार
कहता था बदल लो ईमान अगर
जीने का मिलेगा तब अधिकार

इससे बढ़कर भी थे कई दुःख
थे लोग भी धर्म से बड़े विमुख
थी नशाखोरी, दुखी था समाज
गुरु-ज्ञान से राह दिखी सम्मुख

बढ़ने लगा हद से जो दुराचार
सृष्टि में निकट थी प्रलय साकार
चिंतित समाज पहुंचा गुरुधाम
मुख से निकला फिर त्राहि-माम

ज्ञानवान, व्यवहार कुशल
देख कष्ट जनों के वह थे विकल
बलिदान की ठानी उन ऋषि ने
देख अत्याचार हुए विह्वल

बालक उनका भी वीर ही था
देख धर्म दशा वो अधीर भी था
कहा, राष्ट्र को देखो पितृ मेरे
तब आँख में सबके नीर ही था।

विधर्मी को गढ़ में चुनौती दिया
दिया ‘शीश’ व धर्म की रक्षा किया
जगे लोग तभी, बने वीर सभी
बलिदान के अर्थ को साध लिया

हो रहा है धर्म का आज अनादर
आते हो याद फिर राष्ट्र को सादर
ले पुनर्जन्म आओ पुण्यात्मा
एक बार बनो फिर ‘हिन्द की चादर’

गुरु तेग-बहादुर और औरंगजेब: गुरु तेग बहादुर शहीदी दिवस पर कविता Poems On Guru Teg Bahadur Sahib

" गुरु तेग-बहादुर और औरंगजेब "
***
जदीद-व-मुन्फरिद नज्म/ नवीन, विचित्र कविता/ इन्कलाबी नज्म-ए-मुअर्रा है ये, ऐ हसीन आलोचक / नक्काद-ए-बेहतरीन
***
गुरु हर-गोविन्द सिंह जी की पांचवी सन्तान थे वो।
बड़े मर्यादा-पुरूष और मुन्फरिद इन्सान थे वो!!
गुरु हरि-कृष्ण राय जी की वफात के बाद, ऐ नक्काद!
त्याग-मल त्याग उर्फ तेग-बहादुर जी को "गुरु" बनाया गया!
जबकि, हरि-कृष्ण राय जी ने अपनी हयात ही में, अपनी जा-नशीनी के लिए, "बाबा-बकाले जी" को हिदायत दी थी!
लेकिन सब सिख-भाइयों की इजतिमाई राय से "त्याग-मल-त्याग उर्फ तेग-बहादुर" को "गुरु" बनाया गया!!
त्याग-मल-त्याग जी ने " मुगलों " के दांत ( Teeth) खट्टे कर दिए!
गुरु हर-गोविन्द के कौल के मुताबिक,
त्याग-मल-त्याग जी " तलवार के धनी " बन गए!
" हिम्मत, मोहब्बत, और त्याग वाले गुरू ", "त्याग-मल-त्याग जी " तेग-बहादुर " बन चुके थे!
पैहम बीस बरसों तक " बाबा-बकाला " नामी जगह पर, " त्याग-मल-त्याग जी " तपस्या और साधना करते रहे!
उस के बाद " गुरु त्याग-मल-त्याग जी" आनन्दपूर, रोपन, सैफाबाद, खिआला, खदल, बनारस, पटना, आसाम, वगैरा गये!
गुरु तेग-बहादुर जी त्याग-मल-त्याग!
तवील सफर करने के बाद पहुँचे प्रयाग!
औरंगजेब, तेग-बहादुर से डर गया!
" इस्लाम " का सहारा ले कर नाचने लगा!
बरहना नाच, रक्स-ए-अबस होता ही रहा!?
भारत का एक-एक बशर रोता ही रहा!?
" हर एक धर्म अपने-आप में है महान"!
ये बात " शाह-वक्त " क्यों समझ न सका!?
बे-शक!,बादशाह औरंगजेब था " जुनूनी "!
था वो एक कातिल, यानी, था वो एक खूनी!
उसी ने ये हुक्म सादिर किया!
" सब से कह दो कि, सब लोग, इस्लाम धर्म को कुबूल कर ले!
और नहीं तो सब अपनी मौत को गले लगाने के लिए तैयार हो जायें!!
इस जबरदस्त हुक्म के कारण दूसरे तमाम धर्मों के लोगों की जिन्दगानिया कठिन हो गयीं!!
औरंगजेब, जुल्म-व-सितम ढाता ही रहा!
भारत में कत्ल-आम कराता चला गया!
" इस्लाम " को समझ न सका बादशाह-ए-वक्त!
बे-शक!, रहा वो अपने गुरूर-व-अना में मस्त!
वो खुद को, रब का दोस्त समझता रहा, अबस!
औरंगजेब शाह-ए-जमान था अना-परस्त!
तालीम-ए-दीन-हक को वो हासिल किया नही!
औरंगजेब, आदमी बन कर जिया नही!?
अल्लाह का वली, उसे कहते हैं आप लोग!?
इन्सानियत के नाम पे वो भी था एक रोग!!
घर-घुसना था, कि, मोगड़ा था,अन्ध-भक्त था!
" औरन्ग"," मिस्ल-ए-जन" था, जनी की तरह था वह!
" त्याग-मल" था," तेग-बहादुर "," गुरु " भी था!
" तलवार का धनी था," अली" की तरह था वह!!
" औरंगजेब "!," मजहब-ए-इस्लाम " को समझ!
ये बात उस को " तेग-बहादुर " ने भी कही!
" गारतगरी " नही है सबक, दीन-ए-हक का, दोस्त!!
रट्टा लगाते ही रहो, दीनी-सबक का, दोस्त!!
बाला-ए-ताक रख दिया इन्साफ-व-अद्ल, वह!?
करवा दिया था " तेग-बहादुर " का कत्ल, वह!?
एक अप्रैल सन सोलह सौ इक्कीस ईस्वी को वह जन्म लिए थे!
ग्यारह नवम्बर सन सोलह सौ पछत्तर ईस्वी को शहीद हुए थे!!
" सनातन" धर्म है महान!, यही है " गीता" का ज्ञान!
गुरु नानक जी " का अजीम धर्म अपनाओ, भाई-जान!!
पढोगे जब " गुरु-ग्रन्थ "!, मुनव्वर होंगे दिल-दिमाग!!
दिल-व-कल्ब-व-जिगर में, यारो!
जलेंगे ज्ञान के चिराग!!
रौशन होगा तुम्हारे दिमाग का मचान
जब लोगे तुम सब गुरु तेग बहादुर जी से ज्ञान।
शेख ए हरम ने पकड़ रखा है पाखंड का मचान,
इसीलिए दुनिया में फैल रहा है अंधकार और अज्ञान।।
डाक्टर इन्सान प्रेमनगरी, 
द्वारा डॉक्टर रामदास राजकुमार दिलीप कपूर, डॉक्टर जावेद अशरफ़ कैस फैज अकबराबादी मंजिल, डॉक्टर खदीजा नरसिंग होम, रांची हिल साईड,इमामबाड़ा रोड राँची-834001,इन्डिया!
नोट :- इस तवील और मुन्फरिद,जदीद नज्म या नवीनतम कविता के दीगर शेर-व-सुखन आइंदा फिर कभी पेश फिर कभी पेश किए जायेंगे, इन्शा-अल्लाह-व-ईश्वर!

नौवें गुरु तेग बहादुर जी पर कविता : तलवार के गुरु धनी तेग बहादुर

नौवें गुरु सिखों के तेग बहादुर जी महान गुरु कहलाये।
प्रथम गुरु नानक के कट्टर अनुयायी बन ख्याति पाये।।

११५ पद्य गुरु ग्रन्थ साहिब में उनका भरा है धर्म ज्ञान।
मुगलों का अवैद्ध धर्म परिवर्तन का विरोध धमासान।।

अस्वीकार किया इस्लाम तो 1675 में औरंगजेब सिर कटवाये।
शीश गंज- रकाब गंज साहिब निर्मम हत्या का स्मरण करवाये।।

मानव धर्म, आदर्श हेतु प्राणाहुति दे गुरु वैश्विक इतिहास बनाये।
मानवीय सांस्कृतिक विरासत हेतु बलिदान दे अमरकृति बनाये।।

५वें पुत्र हरगोविन्द अमृतसर पावन नगरी में अवतरित हो आये।
८वें गुरु पौत्र हरिकृष्ण की अकाल मृत्यु से ९वें गुरु ने बन छाये।।

आनन्दपुर साहिब का निर्माण करवा आसन वहीं जमाये।
१४ का तरुण, पिता संग मुग़लो से युद्ध में वीरगति पाये।।

शौर्य लख पिता ने उनका नाम त्यागमल को तेग़ बहादुर नाम पाये।
रक्तपात देख वैराग्य जगा, आध्यात्मिक चिंतन में आजीवन लगाये।।

एकांत 'बाबा बकाला' में 20 वर्ष साधना कर सिद्ध कहलाये।
८वें गुरु हरकिशन उत्तराधिकारी का बाबा बकाले नाम दिये।।

धर्म प्रचारार्थ कीरतपुर, रोपण, सैफाबाद, खिआला (खदल) आये।
भाया दमदमा साहब से कुरुक्षेत्र, यमुना तीर कड़ामानकपुर आये।।

मलूकदास का उद्धार कर प्रयाग, काशी, पटना, असम में धर्म फैलाये।
१६६६ में गुरुपुत्र १०वें गुरु गोविंद सिंह पटना में जन्मे, तीर्थ सब जायें।।
डॉ. कवि कुमार निर्मल
बेतिया, बिहार

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