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गाँधी जयंती पर विशेष निबंध Mahatma Gandhi Jayanti 2021

गाँधी-जयन्ती क्यों मनाया जाता है? जानिए महात्मा गांधी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी


गाँधी-जयन्ती विशेष

अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है?

2 अक्टूबर को प्रति वर्ष हमारे पूरे देश में महात्मा गाँधी के सम्मान में गाँधी-जयंती और पूरे विश्व में अन्तरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस मनाया जाता है। इनका पूरा नाम मोहनदास करमचन्द गाँधी था। इनका जन्म गुजरात के एक तटीय नगर पोरबंदर में 2 अक्टूबर सन् 1869 ई० को हुआ था। इनके पिता का नाम करमचन्द गाँधी था जो काठियावाड़ के पोरबंदर के दीवान थे। इनकी माता का नाम पुतली बाई था, जो करमचन्द गाँधी की चौथी पत्नी थी। बाल्यकाल में गाँधी जी साधारण छात्र ही रहे हैं। उन्होंने अपनी वैरिस्टरी की पढ़ाई लंदन से की।

महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा होता है

भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में गाँधी जी की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ये भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के एक प्रमुख राजनैतिक नेता थे एवं सत्याग्रह आंदोलन के माध्यम से अत्याचार के प्रतिकार में इनकी अग्रणी भूमिका थी। सत्य और अहिंसा इनका प्रमुख हथियार था।
आज पूरी दुनिया इन्हें महात्मा गाँधी के नाम से जानती है। संस्कृत भाषा में महात्मा शब्द का अर्थ महान आत्मा होता है जो एक सम्मान सूचक शब्द है। गाँधी जी को 1915 मे रविंद्रनाथ टैगोर ने महात्मा की उपाधि प्रदान की थी।
इन्हें बापू भी कहा जाता है। गुजराती भाषा में बापू का अर्थ पिता होता है।
सुभाष चन्द्र बोस ने 6 जुलाई 1944 को रंगून रेडियो से गाँधी जी के नाम जारी प्रसारण में उन्हें राष्ट्रपिता कहकर सम्बोधित किया था।
मोहनदास करमचंद गाँधी महात्मा गाँधी, बापू और राष्ट्रपिता के नाम से जाने जाते हैं और "अहिंसा परमोधर्म:" इनका मूल मंत्र था।
इनका निधन 30 जनवरी 1948 को हुआ।
आज गाँधी जी की चर्चा हर घर, हर गली, हर विद्यालय यहाँ तक की पूरे विश्व में है। हर बच्चा-बच्चा की जुबान पर गाँधी जी हैं। किस विद्यालय में गाँधीजी के आदर्शों को नहीं पढ़ाया जाता है? वाद-विवाद, निबंध-लेखन और भाषण प्रतियोगिता आयोजित नहीं किया जाता है? उनके "सत्य और अहिंसा" के आदर्शों को घोल-घोल कर पिलाया जाता है। विचारणीय यह है कि क्या एक अकेले गाँधी जी अपने सत्य और अहिंसा की बदौलत देश को आजाद कराने में सक्षम रहे?? उन युवाओं की कुर्बानियाँ कहाँ गयी? जिसने फाँसी के फंदे को चूम कर हँसते हुए झूल गए? आज किस इतिहास की पुस्तक में गाँधी जी के "सत्याग्रह और सत्य-अहिंसा" का पाठ पढ़ाया नहीं जाता हैं?? परंतु आज गाँधी कोई व्यक्ति नहीं एक विचारधारा है। अपनी कमजोरियों और नाकामियों को छुपाने का एक अच्छा हथियार भारतवासियों को मिला है। गाँधी जी का ये कथन कि "जब कोई एक गाल पर थप्पड़ मार तो दूसरी गाल आगे कर दो" इससे कितने व्यक्ति सहमत हैं और कितने नहीं, ये तो मैं नहीं जानती लेकिन हाँ जहाँ अपनी सबलता काम नहीं आती है तब आज भी वहाँ गाँधीवादी विचारधारा की चादर ओढ़ ली जाती है।
गाँधी-जयन्ती क्यों मनाया जाता है? जानिए महात्मा गांधी से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

अंत में एक बात अवश्य कहना चाहूँगी, गाँधी जी के आदर्शों पर चलने वाले या उनके आदर्शों को मानने वाले आज कितने व्यक्ति हैं ये तो नहीं पता??लेकिन हर पॉकेट में बैठे गाँधी जी सबको प्रिय हैं। हर बिगड़ी काम बनाने की क्षमता रखते हैं ये गाँधी जी। जहाँ मनुष्य की क्षमता चूकने लगती है, विश्वास ढ़हने लगता है, तब पॉकेट वाले गाँधी जी बड़े स्वाभिमान के साथ बाहर आते हैं और निराश मन को दिलासा देते हैं, कि तुम घबड़ाओ नहीं मैं हूँ न, अब तुम निश्चिंत हो जाओ और मेरा कमाल देखो। फिर गाँधी जी आहिस्ता से पॉकेट से निकलकर अपना कमाल दिखाते हैं और जिनके पॉकेट में समाते हैं उनकी विचारधारा ही बदल देते हैं। जो अभी-अभी नियम-कानून के पूरे पक्के थे, मिलीमीटर भर भी अपने सिद्धांतों और उसूलों से हटने वाले न थे वे ही आपके लिए कैसे-कैसे रास्ते निकलते हैं, उपाय ढूँढ लाते हैं, इसलिए कहा भी गया है "सर्वे गुणाः काञ्चनम् आश्रयन्ते"।
Mahatma Gandhi Jayanti By Vibha Madhvi
डॉ० विभा माधवी
खगड़िया

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