26/11 मुंबई हमले पर कविता
आज, फिर वो बिती बात, याद आ गई,
26/11की आदमखोर..रात याद आ गई।
एक सुनामी बवंडर..मुंबई पर आया था,
इंसानी जिंदगीयों को, जिसने बहाया था।
आग की लपटें..चीख-पुकारों का आलम था,
लाशों का ढेर था..चारों ओर छाया मातम था!
ज़ाहिल पाकिस्तान की..कायराना हरकत थी,
"कसाब"जैसे दरिंदे ने..की इसमें शिरकत थी।
आतंकी बारूद के आगे, खड़े हिंद के जवान थे,
वो होटल के अंदर..जवान खुले मैदान थे।
सीने पे गोली खाकर, आवाम को बचा गए,
भारत मां की लाज बचा..वीरगति को पा गए!
आज जलसों में मशरूफ..हम उन्हें भुल गए,
देश की शान बचाने..वे जान पे खेल गए।
सब का परिवार बचाके, अपना, बिलखता छोड़ गए,
फ़र्ज़ की राह पे कुर्बान हो..सब से नाता तोड़ गए।
देख के उनका बलिदान, नैन..नीर बहाते हैं,
शहादत पे उनके हम..श्रद्धा के दीप जलाते हैं!
हरजीत सिंह मेहरा
लुधियाना पंजाब
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