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हिंदी कविता : मन का अंधियारा Man Ka Andhiyara Hindi Kavita

हिंदी कविता : मन का अंधियारा Man Ka Andhiyara Hindi Kavita

मन का अंधियारा
हद में रहे परेशान न करें
जिंदगी को यूंँ हैरान न करें
आशा अपने दिल में रखे
इसे आप इम्तिहान न करें
अँधेरो मे लिपटी अँधियारा
गुजर जायेगी कुछ पल में
फूटेंगे जरूर एक किरण
सुबह का इंतजार तो करें
कई मिलो चल कर गए
मंजिलों का सफर दूर नही
थक न जाना थोड़ी दूर जा कर
चेहरे पे मुस्कुराहट दूर नही
बढ़ेंगे कई हाथ आपके लिए
कुछ छलेंगे साथ चल कर
कुछ महकेंगे साथ रह कर
आगे बढ़े मुकाम तेरा लक्ष्य हो
हौसले को बेकार न करें
सुधीर सिंह आसनसोल

मानव जीवन अद्भुत हैं मन न झाँके कोय
दोष निकाले जहान का खुद न ताके कोय।।

ज्ञान बाँटे नित्य नए जग में खुद अँधेर होय
रब के हैं नेक बंदे पाप मिटे जब सबेर होय।।
सुधीर सिंह आसनसोल
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