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प्रेम में डूबे व्यक्ति की कविता नववर्ष की नई कविता Prem Mein Dube Vyakti Ki Kavita

प्रेम में डूबे व्यक्ति की कविता नववर्ष की नई कविता

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मैंने देखा प्रेम में डूबे
उस व्यक्ति को
बारिश की बूंदों में स्थिर भिगते
जहां बारिश में ओर लोग
दौड़ते-भागते अपने को
भींजने से बचा लेते हैं
और बारिश को अट्टहास
का मौका तक नहीं देते
वहीं प्रेम में डूबे व्यक्ति
बारिश को पूरा मौका दें रहे थे
पर आज बारिश मौका पा,चाह कर भी
अट्टहास नहीं कर पा रहा था
प्रेम में डूबे व्यक्ति के व्यर्था में
वे भी आज सहचर बनें थे
और उसके अशांत मन को
शांत करने में लगे थे
बादलों बीच प्रेम में डूबे व्यक्ति
अपने प्रेयसी की एक के बाद एक
बनते मनमोहनी छबी को
देख आनंदित हो रहा था
असंख्य फूल चहरे पर खिलते
देख ऐसा प्रतीत हो रहा था
मानो कोई उपवन खाली हो गया हो
हर्ष, उल्लास और कोलाहल
का वातावरण चारों ओर दिख रहा था
प्रेम में डूबे व्यक्ति की विशाद और शोक
की रेखाएं छोटी हो चली थी
प्रेयसी के यौवन से भरे
आकर्षित तन
प्रेम में डूबे व्यक्ति के मन को
आकाश में ले जाती हैं
हृदय में मिलन की कामना जाग उठती हैं
प्रेम में डूबे व्यक्ति
मिलन के लिए आंख मूंदता हैं
और स्पर्श के लिए ज्यों ही
कदम आगे बढ़ता है
बादलों से गिर
जमी पर आ गिरता है
और आंखें खोल प्रेयसी के
अस्तित्व को बादलों में न पा
रो पड़ता है
स्मरण करता है
प्रेयसी तो नहीं अब
बस प्रेम रह गया
जो तन था
ढह गया
राख बन
रह गया
गंगा के इसी पावन टठ पर
मिले थे कभी बारिश में
और इसी टठ पर पीछले साल
जल समाधि दी थी
मैंने प्रेयसी के राख को
आह रे ।खुशी तुम कहां?
देख जीवन व्यर्था से भरा
तेरे जाने के बाद
एक क्षण भी वैसे न जीया
जैसे तेरे संग जीया
प्रेम में डूबे व्यक्ति दोनों घुटनों पर गिर
अपने दोनों हाथों को उठा
लकिरो को पलभर देखता है
और भिंगी पावन मिट्टीको उठा
अपने चेहरे पर लगा
रूदन वाली पुकार से
प्रेयसी को पुकारता है
पर पुकार बादलों की गड़गड़ाहट के
बीच दब कर रह जाता है 
फिर शुरू होता है
आंसुओ का बादलों के
बुंदों के साथ मिलन
और याद दिला जाता है
प्रेयसी का कथन..……
प्रेम में मैं हूं
तुम हो
जंग है
प्रकृति की प्रत्येक रचना में प्रेम है
प्रेम बिना सुना सब है
प्रेम में डूबे व्यक्ति अपने चारों ओर
देखता और ऐहसास करता है
प्रेयसी तो इन्द्रधनुषी सातों रंगों में है
गंगा किनारे हरे-भरे लहलहाते खेतों में है
उनके खुद के क्रन्दन में है
प्रेम में डूबे व्यक्ति अंत में चाहता है
क्रन्दन के नन्दन से सारे आंसु बह कर
प्रेयसी के राख के साथ मिल जाए
इसी चाह को लिए
एक जोर की सिसकी ले
प्रेम में डूबे व्यक्ति मुक्षित हो
गिर पड़ता है
दोनों आंखें खुली रह जाती है और
आंसुओ की धारा राख कण स्पर्श करती है
निशब्द, शांत, स्थिर...........
और प्रेम में डूबे व्यक्ति की
आत्मा कह उठती है
एक मिलन ऐसा भी.... ऐ कैसा भी.......
कवि बिनोद कुमार रजक
शिक्षक महात्मा गांधी हाई स्कूल (एच.एस)

Sweet Poem in Hindi



प्रेम में डूबे व्यक्ति कविता नववर्ष की नई कविता Prem Mein Dube Vyakti Ki Kavita

चित्र आधारित

प्रेम कविता दो दिलो का मिलन सुहाना Love Poetry in Hindi

दो दिलो का मिलन सुहाना, दोनों मिलकर गाते गाना।
मन अब फूलों जैसा महके, तन अब शोला बन कर दहके।
सपना आज हुवा है पूरा, कैसे कह दूँ अभी अधूरा।
हँस कर उसने हाल सुनाया, जीवन का अब सुख है पाया।

आज नहीं हैं कोई दूरी, आश हुई है अपनी पूरी।
हाथ में मेरे हाथ दे दो, कहूँ मैं मेरा साथ दे दो।
चेहरे पर मुस्कान छाई, दूर हुई है अब तन्हाई।
छोड़ोगे ना साथ हमारा, सदा रहे ये जीवन प्यारा।

टूट गए अब सारे बंधन, जीवन देखो अपना चन्दन।
जीवन की महकी है क्यारी, पूरी हुई है आस हमारी।
बहे जा रही अमृत धारा, एक दूजे के बने सहारा।
एक प्राण अब दोनों अपने, पूरे अब हैं अपने सपने।
श्याम मठपाल, उदयपुर


प्रेम कविता हिंदी में Romantic Poetry In Hindi

प्रणय उत्सव
कोमल कमल नयन तुम्हारे
ह्रदय छू रहे आज हमारे
चंदा सा मुखड़ा अति सुन्दर
किरणें पहुँची दिल के अंदर
प्रकाश निकल रहा है मुख से
गीत निकले आज सुख से
सुगंध जैसे हो उपवन की
राग रागिनी जैसे मन की

नदियाँ की लहरें हैं मन में
आग लगी हो जैसे तन में
ह्रदय बना है प्यासा पंछी
मधुर मिलन की बाजे बंसी
सुख का सागर मचल रहा है
सारा जग ही बदल रहा है
भाव भंगिमा का आमंत्रण
कौन खींचे इसका चित्रण

तन मन का मिलन अनूठा
फल मिला है कितना मीठा
सुख दुःख अब साझे अपने
मिलकर देख रहे हैं सपने
सौंदर्य की अनुपम छटा है
प्रेम की ये अद्भुद घटा है
संशय अब सारे मिट जाएँ
मिलकर ये उत्सव मनाएँ

गूँज उठे हैं मीठे तान
नयनों से निकले बाण
जन्मों का है ये बंधन
आज नहीं कोई चिंतन
इस घड़ी में करलें वादा
कोई नहीं कम ज्यादा
हर पल को जीना हमको
प्रणय उत्सव हरे तमको
श्याम मठपाल, उदयपुर

Hindi Romantic Poem



प्रेम कविता : मेरे लिए तेरा प्यार रहे दिल में Love Poem in Hindi

तुम्हें पाने की ख्वाहिश नहीं है मेरी
मेरे लिए तेरा प्यार रहे दिल में यह ख्वाहिश मेरी।
ख्वाबों में जब-जब आते हो मेरे
तेरी बाहों में समाने की चाहत मेरी।
तुम मेरे धड़कन में धड़कते हो
यही सोच कर खुशी बढ़ जाती है मेरी।
तू मेरे नजरों के सामने रहे यह आरजू नहीं मेरी
पर हर सांस में सिर्फ मैं रहूं या चाहत मेरी।
देखो कैसे हिलोरे ले रहा है मन मेरा
पर जाने क्यों आंखें अब नम है मेरी
तेरा साथ हो जीवन में मेरी यह तमन्ना नहीं
पर बातों से मेरे लिए फिक्र झलके यह चाहत मेरी।
तू मुझसे दूर कितना भी सही कोई गम नहीं
बस ख्वाबों में चूम ले मेरा माथा यह ख्वाहिश मेरी।
ख्वाइश नहीं मुझे प्रेम का अथाह समंदर मिले
पता ताउम्र तुझे अपनी रूह में समाऊँ यह ख्वाहिश मेरी।
ख्वाहिश नहीं मेरी कि तुम मेरी तन्हाईयों को दूर करो
पर प्यार का इजहार हर वक्त करो यह चाहत मेरी।
श्रीराम

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