चैत्र नव रात्र के अवसर पर देवी भजन Chaitra Navratra Ke Avsar Par Devi Bhajan
भक्ति गीत : माता शैलपुत्री
“चैत्र नवरात्र का प्रथम दिन, यह दिन मां शैलपुत्री के नाम,
माता रानी के प्रथम रूप को है, हमारा कोटि कोटि प्रणाम।
भक्ति से शक्ति मिलती है, शक्ति से हर कष्ट से मुक्ति,
माता के चरणों में जाने से, बन जाते हैं सारे बिगड़े काम।”
मां शैलपुत्री तेरे दरबार का है रूप बड़ा सुहाना,
आज तेरे दरबार में, एक भक्त आया अंजाना।
मैया करता है वह बारंबार, एक विनती तुमसे,
दे दो अपने चरणों में, दीन को कोई ठिकाना!
माता शैलपुत्री तेरे दरबार…………….
सारे जग का तू भाग्य संवारती, देवी शैलपुत्री,
इस सेवक को भी, आज रास्ता कोई दिखाना!
पहली पूजा तेरे नाम है, करना इसे स्वीकार,
तेरे चरणों से मैया, अपना नाता बड़ा पुराना।
मां शैलपुत्री तेरे दरबार……. …..
जो सबका ठुकराया होता, पास तेरे वह आता,
माता बड़ी आशा है, दुखिया की लाज बचाना!
खाली हाथ तेरे दर से माता, कोई नहीं जाता,
इसके भी पथ से मैया, तू अंधेरा दूर भगाना।
मां शैलपुत्री तेरे दरबार…………….
माता तुम आदिशक्ति हो, और करुणा सागर,
कृष्णदेव के मन में, नव ज्योति पुंज जगाना।
हाथ जोड़ते सब तेरे, पाप और अधर्म भागना, कठिन घड़ी है, आंसू पोछ अपने गले लगाना!
मां शैलपुत्री तेरे दरबार…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
नासिक (महाराष्ट्र)/
जयनगर (मधुबनी) बिहार
हे माता ब्रह्मचारिणी
(भक्ति गीत)
(मां भवानी के दूसरे रूप की आराधना)
“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को हमारी ओर से चैत्र नवरात्रि के शुभ अवसर पर मां ब्रह्मचारिणी की असीम कृपा से ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।“
हे माता ब्रह्मचारिणी, मैया भगवती कर कमल धारिणी,
दायां हाथ जप तप की माला, बायां हाथ शोभे कमंडल।
लाल परिधान पसंद आपको, शांत आपका है मुख मंडल,
अपर्णा, उमा नाम आपके, तप मध्य बसा करती जंगल।
हे माता ब्रह्मचारिणी………..
एक पुष्प हृदय को गुड़हल भावे, दूजा लाल रंग कमल,
शिव के लिए तप किया, भोजन में कंद मूल और फल
पूजन में स्वीकार आपको, लाल पुष्प संग श्वेत चावल,
तप बल से हुई, महादेवजी की प्राप्ति में आप सफल।
हे माता ब्रह्मचारिणी…………..
तपस्या देवी नाम आपका, मन में नहीं है कोई हलचल,
भोलेनाथ की संगिनी आप, जिसके जटा में है गंगाजल।
आपके पदार्पण से, संसार में सब कुछ हो जाता निर्मल,
हे नारायणी जगत जननी, मन आपका है बड़ा शीतल।
हे माता ब्रह्मचारिणी………. …
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
आया चैत्र नवरात्रि का त्योहार (भक्ति गीत)
“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को परम पावन नवरात्रि महोत्सव की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां”
आया आया है, नवरात्रि का त्योहार,
भवानी माता, तेरी है जय जयकार।
मातारानी करके तुम, सोलह श्रृंगार,
लहराती आती हो, हाथ में तलवार।
आया आया है………….
चमक रही है, माता के माथे बिंदिया,
गूंज रही है जग में नुपुर की झंकार।
खन खन, खन खन खनकता कंगना,
माता रानी आई, अपने शेर पे सवार।
आया आया है………….
चैत्र शुक्ल पक्ष की वेला है अलबेली,
मैया की महिमा, प्रसन्न सारा संसार।
कष्ट क्लेश का, विनाश अब निश्चित,
माता रानी की महिमा होती अपरंपार।
आया आया है……………..
सारे दर्द और संकट, दूर होंगे हमारे,
सज रहा है, माता भवानी का दरबार।
आओ साथियों, मिलकर करें आराधना,
माता रानी लगाएगी, सबका बेड़ा पार।
आया आया है……………
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
चैत्र नव रात्र के अवसर पर देवी भजन : लाया हूँ माता धार आँसुओ शरण तुम्हारे
हिन्दी देबी गीत 8 – शरण तुम्हारे।
लाया हूँ माता धार आँसुओ शरण तुम्हारे।
भक्त पड़ा है आज माता चरन तुम्हारे।
निर्मल भाव माता निर्मल है काया।
चरणों मे तेरे मैंने सिर को झुकाया।
तेरे सिवा माता रहु मै किसके सहारे।
लाया हूँ माता धार आँसुओ शरण तुम्हारे।
जग ने ठुकराया मुझको किसी ने न पुकारा।
तेरे शरण मे मिला मुझको आज है सहारा।
बीच भवर मे नईया मेरी लगाओ अब तो किनारे।
लाया हूँ माता धार आँसुओ शरण तुम्हारे।
करू कितनी गलती आखिर बेटा माँ मै तेरा।
कर दो माफ गलती मेरी बेटा माँ मै तेरा।
छोदूंगा कभी ना माँ मै कभी पाँव तुम्हारे।
लाया हूँ माता धार आँसुओ शरण तुम्हारे।
जब भी पुकारा तुमको माता गले है लगाया।
रोता आया जब भी माता तूने है मुझे हँसाया।
भारती है बेटा माता हरदम है तुझको पुकारे।
लाया हूँ माता धार आँसुओ शरण तुम्हारे।
श्याम कुँवर भारती (राजभर )
कवि/लेखक /समाजसेवी
बोकारो झारखंड, मोब 9955509286
व्हात्सप्प्स -8210525557
चैत्र नवरात्र देवी गीत भजन में माता को भेंट स्वरूप देवी गीत- माता मेरी
देवी गीत- माता मेरी।
तेरा ही ध्यान धरकर मैं जगता और सोता हूं।
शुबह और शाम मैं नाम तेरा ही लेता हूं।
तु नही तो कुछ नहीं तु जगत जननी जगदम्बा है।
तेरे ही आंचल की छाव मां मैं सदा पलता हूं।
माता मेरी हो माता मेरी।
माता की महिमा गाओ सब, माता की गाथा सुन जाओ सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
जग की माता तुम हो,सबकी जीवन दाता।
तेरी ही कृपा से है जग चल पाता।
तेरे ही इशारे मां फूल खिल है जाता।
माता भोग लगाओ सब,चरणों शीश नवाओ सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
सारे जगत में मां तेरी है सब माया।
हर तरफ रूप मां तेरा ही छाया है।
जीवन ज्योति तुम हो,सागर सिप की मोती तुम हो।
निर्मल जल माता चरण पखारो सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
ढोल नगाड़ा बाजा मजीरा सब बाजे।
कर करताल शंख घड़ियाल खूब बाजे।
माता की आरती उतारो सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
शुंभ निशुंभ और चण्ड मुंड को मारा।
दैत्य दुर्ग रक्तबीज को तूने ही संघारा।
नारियल सुपाड़ी माता चढ़ाओ सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
शिव की शक्ति तुम हो।
भगतो की भक्ति तुम हो।
कृपा करो मां नजर दया तुम डालो।
चरण पड़ा हूं मैं हाथो तुम उठा लो।
माता लाल चूनर चमकाओ सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
छोड़कर तुमको मां और कहा जाऊं।
तेरी शरण में मैं सारा सुख पाऊं।
माता मेरी हो माता मेरी।
चौसठ भोग खिलाओ सब।
माता मेरी हो माता मेरी।
श्याम कुंवर भारती।
बोकारो झारखंड
चैत्र नवरात्रि पर देवी भजन गीत : मॉं सबकी मनोकामना पूर्ण करें
जय माता की
मॉं सबकी मनोकामना पूर्ण करें
भजन
चाकर बनाकर रखले, मैया अपने द्वार पर
आऊँगी दौड़ी तेरी एक एक पुकार पर
जो भी कहेगी तेरी बात मैं सुनूँगी
तुझको रिझाने खातिर गीत भी बुनूँगी
गाऊँगी हस हस तेरा भजन मैं सितार पर
आऊँगी दौड़ी तेरी एक एक पुकार पर
मुझ पे दया की अपनी दृष्टि तू रखना
क्यों फिर ये शबनम दुनियाँ से डरना
फिर मैं हसुंगी जीत अपनी न, हार पर
आऊँगी दौड़ी तेरी एक एक पुकार पर
चर्चे अभी हो चाहे बाद करे दुनियाँ
तेरे बाद मुझ को भी याद करे दुनियाँ
चाकर बनूँगी माते इसी एक करार पर
आऊँगी दौड़ी तेरी एक एक पुकार पर
शबनम मेहरोत्रा
(सर्वाधिकार सुरक्षित)
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