वट सावित्री पूजन के संदर्भ में कहानी : सावित्री
वट सावित्री पूजन
वट सावित्री पूजन की सभी बहनों को बधाई, शुभकामनाएं,
सावित्री,
सावित्री बहुत सीधी सादी गृहिणी थी हमेशा सबके कल्याण की बाते करती थी।
सिलाई कढ़ाई में निपुण थी तो निशुल्क सभी की सेवा करती थी।
बच्चे बड़े हो रहे थे तो उनकी शादी की चिंता सताये जा रही थी।
दो बेटी और एक बेटा था।
सही रिश्ता मिलने पर दोनो बेटियों की शादी कर दी।
लड़के की भी बहुत सुशील बहु आई घर में।
रोशनी नाम था।
सब कुछ ठीक चल रहा था कि अचानक सावित्री के पति रोशनलाल की तबियत विगड़ गई।
गांव में दिखाया तो कोई फायदा नही हुआ तो शहर के बड़े डॉक्टर को दिखाया।
डॉक्टर ने कैंसर बता दिया और महंगा इलाज शुरू कर दिया।
पर सावित्री को विश्वास नही था उसे भगवान पर भरोसा था कि डॉक्टर कुछ भी कहे हम अपने पति के लिये प्रार्थना करेंगे।
इधर इलाज चलता था उधर सावित्री की पूजा।
वह मन से एक ही रट लगाये रहती थी भगवान मेरे पास कुछ नही है सब आपका है।
बस एक बार मेरे पति की उम्र बढ़ा दो।
धीरे धीरे डॉक्टर के बताये समय के अनुसार वह माह आ गया जो पति का अंतिम माह था।
सावित्री पुराने दिनों को यादकर रोने लगी।
शादी और शादी से अब तक खुशी खुशी रहना बड़े से बड़े संकट में भी हिम्मत से काम लेना बच्चो की शादी में साथ साथ नृत्य करना।
सब कुछ चलचित्र की तरह ही चल रहा था।
फिर भी उसने आस नही छोड़ी और नित्य प्रार्थना करती रही।
एक दिन एक बैध जी घर आये और सावित्री से कहा कि मुझे किसी ने बताया कि आपके पति को कैंसर है।
यह कुछ दवा है उन्हें खिला देना।
ईश्वर ने चाहा तो कुछ और वर्ष जीवन बढ़ जायेगा।
दवा और दुआ असर करती रही रोशनलाल कुछ स्वस्थ हो गये, पर कमजोर हो गये थे।
डॉक्टर को आश्चर्य हुआ कि आखिर यह कैसे हुआ चेकअप कराया तो कैंसर नही निकला।
पर लैब से एक बात जरूर पता चली की रोशनलाल की रिपोर्ट चेंज हो गई थी।
पर बीमारी गम्भीर थी।
ओह डॉक्टर भी चकित था कि मेरे गलत इलाज के बाद भी रोशनलाल जीवित है।
उंन्होने सावित्री से पूंछा तो सावित्री ने बताया कि प्रार्थना में दम होती है वस मन से की जाये दिखावे की पूजा कोई असर नही करती।
भव्यता से पूजा पाठ, इवेंट्स, किये जा सकते है पर दिव्यता से ईश्वर को पाना कठिन है।
डॉक्टर साहेब आप भी तो हॉस्पिटल में मन्दिर रखते हो। शायद कर्म पर कम उनपर विश्वास ज्यादा है आपको भी।
डॉक्टर ने कहा सही कहा बहन श्रद्धा से सब प्राप्त किया जा सकता है।
किसी को बचाया भी जा सकता है।
मेरे लिये वट सावित्री का पूजन तो रोज होता है जब किसी मरीज को जिंदगी दे रहा होता हूँ क्योकि उससे पहले ईश्वर के हांथो में छोड़ देता हूँ सब कुछ।
सावित्री ने कहा पूजन का अर्थ यही है कि आपमे वह शक्ति हो कि किसी की जान भी बच जाये। पर ईश्वर ही सर्व शक्तिमान है।
यह कथा अंधविश्वास को बढ़ावा नही देती की कैंसर के मरीज को प्रार्थना से ठीक कर सकते है परन्तु प्रार्थना करने से भगवान आपके सबसे नजदीक होते है।
आज वट सावित्री के पूजन पर सावित्री बहुत खुश थी उसका पति आज फिर से उसके पास था।
बट पूजन का अर्थ है लम्बी आयु जो बरगद की होती है को ईश्वर से मांगना।
लेखक
गोविन्द
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