Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

नन्हा सा बच्चा - अभावग्रस्त बचपन पर कविता

नन्हा सा बच्चा - अभावग्रस्त बचपन पर कविता

चित्रलेखनः 102
30 जून, 2022
गुरुवार
विषयः नन्हा सा बच्चा
माँ लगती आया दाई मजदूरनी,
घर की हालत बहुत शिकस्त है।

इस छोटे नन्हें बच्चे को देखो,
टूल पे खड़े छाता ताने मस्त है।।

बच्चा तो है बहुत छोटा मगर,
दिल उसका उतना ही बड़ा है।

माँ तो आया दायी मजदूरनी,
बच्चा माँ से संस्कार ही पढ़ा है।।

महंगी शिक्षा हेतु है धन नहीं,
मुश्किल से भोजन चलता है।

वस्त्र तो दे देते हैं कोई दयालु,
मजदूरी से पेट बस पलता है।।

माँ तो है ममतामयी आँचल,
बेटे रखती आँचल की छाँव में।

रात दिन भी परिश्रम कर लेती,
क्यों न छाले पड़ जाएँ पाँव में।।

किंतु इस सुत के सुध को देखो,
माँ की सपने को साकार किया।

संस्कार से ही शिक्षा है संभव,
शिक्षा से संस्कार संभव नहीं है।

शिक्षा पा माँ बाप को छोड़ता,
शिक्षा से संस्कार बड़ा कहीं है।।

रूखा सूखा भरपेट खाना खा,
दुःख को हँसकर बिता दिया।

उसी का जीवन सच्चा मानो,
निज जीवन को जीता दिया।।

अरुण दिव्यांश 9504503560
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ