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शिक्षा और संस्कृति का सारांश समीक्षा प्रश्न उत्तर Shiksha Aur Sanskriti Summary Question Answer

शिक्षा और संस्कृति का सारांश समीक्षा प्रश्न उत्तर Shiksha Aur Sanskriti Summary Question Answer


आज के पोस्ट में हम कक्षा 10 गोधूलि भाग 2 गद्य खंड के पाठ 12 महात्मा गांधी द्वारा रचित लेख – शिक्षा और संस्कृति (शिक्षा शास्त्र) का सारांश समीक्षा एवं प्रश्नों के उत्तर प्रस्तुत करने जा रहे हैं। इस पाठ के अंत में शिक्षा और संस्कृति पाठ के ऑब्जेक्टिव प्रश्नों के उत्तर दिए जाएंगे। Class 10th Hindi Shiksha Aur Sanskriti Question Answer

शिक्षा और संस्कृति पाठ का सारांश लिखिए

गाँधीजी के विचारों के अनुसार अहिंसक प्रतिरोध सबसे उदात्त ओर बढिया शिक्षा है। वर्णमाला सीखने के पहले बच्चे को आत्मा, सत्य, प्रेम और आत्मा की छिपी हुई शक्तियों का पता होना चाहिए। यह अवश्य बताया जाना चाहिए कि सत्य से असत्य को और कष्ट-सहन से हिंसा को किस प्रकार से जीता जा सकता है। बुद्धि की सच्ची शिक्षा, शरीर की स्थूल इन्द्रियों मतलब हाथ, पैर आदि के ठीक-ठाक प्रयोग से ही हो सकती है। इससे बुद्धि का विकास शीघ्रता से होगा।

प्रारम्भिक शिक्षा में सफाई और तन्दुरूस्ती का विशेष महत्व है। बच्चों सफाई व्यवस्था के ढंग बताए जाने चाहिए। प्राथमिक शिक्षा में कताई-धुनाई को अवश्य शामिल करना चाहिए। ताकि नगर और गाँव एक दूसरे से जुड़े। इससे गाँवों का पलायन रूकेगा।

शिक्षा का का उद्देश्य चरित्र निर्माण होना चाहिए। दरअसल, लोगों में साहस, बल, सदाचार और बड़े उद्देश्य के लिए आत्मओत्सर्ग की शक्ति विकसित की जानी चाहिए। संसार की सर्वश्रेष्ठ कृतियों का अनुवाद देश की भाषाओं में होना चाहिए ताकि अपनी भाषा में टॉल्सटाय, शेक्सपियर, मिल्टन, रवीन्द्रनाथ ठाकुर की कृतियों का आनन्द एवं लाभ उठा सकें।

हमें अपनी संस्कृति के बारे में शिक्षा ग्रहण करने से पहले जानना चाहिए। हमें दूसरी संस्कृतियों के बारे में भी जानना चाहिए, उन्हें तुच्छ समझना गलती होगी। वह संस्कृति जिन्दा नहीं रह सकती जो दूसरों का वहिष्कार करने की कोशिश करती है।

भारतीय संस्कृति उन भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य का प्रतीक है जिनके पाँव भारत में जम गए हैं, जिनका भारतीय जीवन पर प्रभाव पड़ा है और वे स्वयं भारतीय जीवन से प्रभावित हुई हैं।

Class 10th Hindi Subjective Question Answer 2024


प्रश्न १.

गाँधीजी बढ़िया शिक्षा किसे कहते हैं ?

उत्तर : अहिंसक प्रतिरोध को गांधीजी बढ़िया शिक्षा कहते हैं। यह शिक्षा अक्षर-ज्ञान से पूर्व मिलना चाहिए।

प्रश्न २.

इंद्रियों का बुद्धि पूर्वक, उपयोग सीखना क्यों जरूरी है ?

उत्तर : इन्द्रियों का बुद्धि पूर्वक उपयोग उसकी बुद्धि के विकास का जल्द-से-जल्द और उत्तम तरीका है।

प्रश्न ३.

मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास कैसे संभव है ?

उत्तर : शिक्षा का प्रारंभ इस प्रकार किया जाना चाहिए कि बच्चे उपयोगी दस्तकारी सीखें और जिस समय से वह अपनी पढ़ाई शुरु करें उसी समय उन्हें उत्पादन का काम करने योग्य बना दिया जाए। इस प्रकार की शिक्षा-पद्धति में मस्तिष्क और आत्मा का उच्चतम विकास संभव है।

प्रश्न ४.

शिक्षा का ध्येय गाँधीजी क्या मानते थे और क्यों ?

उत्तर : शिक्षा का ध्येय गाँधीजी चरित्र-निर्माण करना मानते थे। उनके विचार से शिक्षा के माध्यम से मनुष्य में साहस, बल, सदाचार जैसे गुणों का विकास होना चाहिए, क्योंकि चरित्र के निर्माण होने से सामाजिक उत्थान संभव होगा। साहसी और सदाचारी व्यक्ति के हाथों में समाज के संगठन का काम आसानी से सौंपा जा सकता है।

प्रश्न ५.

गाँधीजी किस तरह के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं और क्यों ?

उतर : गाँधीजी भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य को भारत के लिए बेहतर मानते हैं, क्योंकि भिन्न-भिन्न संस्कृतियों के सामंजस्य भारतीय जीवन को प्रभावित किया है और स्वयं भी भारतीय जीवन से प्रभावित हुई है। यह सामंजस्य कुदरती तौर पर स्वदेशी ढंग का होगा, जिसमें प्रत्येक संस्कृति के लिए अपना उचित स्थान सुरक्षित होगा।

प्रश्न ६.

गाँधीजी देशी भाषाओं में बड़े पैमाने पर अनुवाद-कार्य क्यों आवश्यक मानते थे ?

उतर : गाँधीजी का मानना था कि देशी भाषाओं में अनुवाद के माध्यम से किसी भी भाषा के विचारों को तथा ज्ञान को आसानी से ग्रहण किया जा सकता है। अंग्रेजी या संसार के अन्य भाषाओं में जो ज्ञान-भंडार पड़ा है, उसे अपनी ही मातृभाषा के द्वारा प्राप्त करना सरल है। सभी भाषाओं से ग्राह्य ज्ञान के लिए अनुवाद की कला परमावश्यक है। अत: इसकी आवश्यकता बड़े पैमाने पर है।

प्रश्न ७.

दूसरी संस्कृति से पहले अपनी संस्कृति की गहरी समझ क्यों जरूरी है ?

उत्तर : दूसरी संस्कृतियों की समझ और कद्र स्वयं अपनी संस्कृति की कद्र होने और उसे हजम कर लेने के बाद होनी चाहिए, पहले हरगिज नहीं। कोई संस्कृति इतने रत्न-भण्डार से भरी हुई नहीं है जितनी हमारी अपनी संस्कृति है। सर्वप्रथम हमें अपनी संस्कृति को जानकर उसमें निहित बातों को अपनाना होगा। इससे चरित्र-निर्माण होगा जो संसार के अन्य संस्कृति से कुछ सीखने की क्षमता प्रदान करेगा।

प्रश्न ८.

अपनी संस्कृति और मातृभाषा की बुनियाद पर दूसरी संस्कृतियों और भाषाओं से संपर्क क्यों बनाया जाना चाहिए ? गाँधीजी की राय स्पष्ट कीजिए।

उत्तर : गाँधीजी के विचार में अपनी मातृभाषा के माध्यम बनाकर हम अत्यधिक विकास कर सकते हैं। अपनी संस्कृति के माध्यम से जीवन में तेज गति से उत्थान किया जा सकता है। लेकिन हम कूपमण्डूक नहीं बनें। दूसरी संस्कृति की अच्छी बातों को अपनाने में परहेज नहीं किया जाये। बल्कि अपनी संस्कृति एवं भाषा को आधार बनाकर अन्य भाषा एवं संस्कृति को भी अपने जीवन से युक्त करें।

प्रश्न ९.

गाँधीजी कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों द्वारा सामाजिक क्रांति कैसे संभव मानते थे ?

उत्तर : कताई और धुनाई जैसे ग्रामोद्योगों के संबंध में गाँधीजी की कल्पना थी कि यह एक ऐसी शांत सामाजिक क्रांति की अग्रदूत बने। जिसमें अत्यंत दूरगामी परिणाम भरे हुए हैं। इससे नगर और ग्राम के संबंधों का एक स्वास्थ्यप्रद और नैतिक आधार प्राप्त होगा और समाज की मौजूदा आरक्षित अवस्था और वर्गों के परस्पर विषाक्त संबंधों की कुछ बड़ी-से-बड़ी बुराइयों को दूर करने में बहुत सहायता मिलेगी। इससे ग्रामीण जन-जीवन विकसित होगा और गरीब-अमीर का अप्राकृतिक भेद नहीं रहेगा। 

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