नव वर्ष शुभकामना संदेश गीत
नव वर्ष मंगलमय हो (गीत)
(भारतीय नव वर्ष)
“आप सभी मित्रों एवं साथियों तथा प्यारे बच्चों को हमारी ओर से मां भवानी की असीम कृपा से भारतीय संस्कृति पर आधारित सनातनी नव वर्ष की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाईयां।”
प्रियवर, नव वर्ष मंगलमय हो,
हर क्षेत्र में आपकी ही जय हो।
जीवन में खुशहाली लहराए सदा,
पल कुशल और दिल निर्भय हो।
प्रियवर नव वर्ष………
सारा जमाना सर झुकाए आगे,
पीछे पीछे आपके दुनिया भागे।
कदम कदम पर फूल खिले तेरे,
पथ में भी कोमल किसलय हो।
प्रियवर नव वर्ष………..
मिश्री घुली रहे पवन की बोली में,
दामन छुपा रहे चांद की चोली में।
सुख शांति आए सारी दुनिया में,
किसी का नहीं कहीं कोई क्षय हो।
प्रियवर नव वर्ष……….
रामायण की घर घर तेज हवा चले,
महाभारत से न कहीं पर दिल जले।
घर घर लक्ष्मी माता कृपा बरसाए,
सरस्वती माता की सर्वत्र जय हो।
प्रियवर नव वर्ष……….
माता भवानी से अनुपम रैन मिले,
सभी के दग्ध मन को चैन मिले।
बेसहारा को सहारा मिले जग में,
हृदय में, प्रेम धन का संचय हो।
प्रियवर नव वर्ष………..
हर किसी को मनचाहा काम मिले,
काम करके जीवन को आराम मिले।
सबको मौका मिले, लोग आगे बढ़े,
सबके भाग्य के सूरज का उदय हो।
प्रियवर नव वर्ष………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
नए साल में नई उड़ान
(कविता)
नए साल में नई उड़ान, अपनी पहचान,
हम निरंतर आगे, कदम अपने बढ़ाएंगे।
शत्रु हमारे, पहले ही हार मान चुके यहां,
धरा के दर पर, आसमान को झुकाएंगे।
नए साल में नई उड़ान……………
सत्य और अहिंसा में, विश्वास हमारा,
शांति और प्यार का है, अपना नारा।
विविधता में जीवित है एकता हमारी,
सारे जग को प्यार का पाठ पढ़ाएंगे।
नए साल में नई उड़ान…………
हर असुरी शक्ति को रोकेंगे साथियों,
देशवासी मिलकर इसको को हराएंगे।
नियम, कानून का, पालन करेंगे पूरा,
मौजूद कदाचार को जड़ से मिटाएंगे।
नए साल में नई उड़ान…………
प्रगति पथ पर अग्रसर है देश हमारा,
अब तो कांटों में भी गुल खिलाएंगे।
पीछे मुड़कर नहीं देखना चाहिए हमें,
अपने वतन को कलियों से सजाएंगे।
नए साल में नई उड़ान………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
ॐ श्री गणेशाय नमः,
ॐ श्री भास्कराय नमः,
ॐ शं शनैश्चराय नमः,
ॐ नमः शिवाय,
जय श्री राम,
जय श्री कृष्णा,
Nav Varsh Shubhkamna Sandesh Geet
नव वर्ष का मंगलमय मस्ताना मौसम आया,
जन जन में कण कण में हर्ष उल्लास छाया।
जीवन की बगिया में हार्दिक स्वागत आपका,
छोड़िए गत वर्ष हमने क्या खोया क्या पाया।
शुभकामनाएं और बधाईयां स्वीकार करें प्रिय,
प्रकृति ने आपके लिए, स्वयं को है बिछाया।
नव वर्ष का मंगलमय………….
प्रियवर, खुशी का हर पल मुबारक हो आपको,
प्यार में डूबा हुआ अयोध्या से संदेशा आया।
कन्हैया जी ने अपनी वंशी बजाई वृंदावन में,
सारी दुनिया में, गीता के ज्ञान को पहुंचाया।
जगत जननी मां जगदम्बा ने आशीष दिया,
त्रिभुवन नाथ ने हां कर अपना डमरू बजाया।
नव वर्ष मंगलमय…………….
हमेशा आपको, देवताओं का आशीर्वाद मिले,
मेरे मन में नव वर्ष पर, यही ख्याल आया।
नए वर्ष के स्वागत में आप, पूरी रात जागे,
आपके लिए खुशियां लेकर नया साल आया।
दुनिया की हर खुशी मिले आपको इस साल,
नव वर्ष मंगलमय लाजवाब बेमिसाल आया।
नव वर्ष मंगलमय……………..
नव वर्ष कह रहा शुरू करने को नई कहानी,
संदेश दे रहा छोड़ने को, जो बात है पुरानी।
आगे बढ़ने का संदेश दे रहा अयोध्या धाम,
आशीर्वाद लेकर साथ खड़े हैं भगवान राम।
सर्दी में भी हो रहा आज गर्मी का एहसास,
काशी मथुरा ने भी, यही आशीष पहुंचाया।
नव वर्ष मंगलमय……….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
नव वर्ष नव सृजन
(कविता)
नव वर्ष नव सृजन, नव नव है उदगार,
नव वर्ष नव सृजन, नव नव चमत्कार।
नव सोच, नव कल्पना, सभी नव नव,
नव स्वप्न देख रहा, आज सारा संसार।
नव वर्ष नव सृजन…………
बुढ़ापे को खोज रही है, बेसब्र हो जवानी,
सूखी नदी में बह रहा हो, ऊपर से पानी।
प्राणी और वनस्पति, सबकी नव कहानी,
कांटे भी कर रहे आज, फूलों का सत्कार।
नव वर्ष नव सृजन………..
नव वर्ष मंगलमय हो, प्रसन्न रहे इंसान,
भगवान खुश होकर, दे सभी को वरदान।
नव वर्ष का नयापन, बांट रहा मुस्कान,
तूफानों को हराकर, नैया हो रही है पार।
नव वर्ष नव सृजन………….
सभी करना चाहते, नई वस्तु से प्यार,
माता रानी कर रही है, नव रूप श्रृंगार।
नव वर्ष ने बदल दिया सबका व्यवहार,
नव सृजन करें, यह आत्मा की पुकार।
नव वर्ष नव सृजन……..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
भक्ति गीत : नव वर्ष में शनि देव
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को भारतीय सनातन संस्कृति पर आधारित कल से शुरू हो रहे नव वर्ष की ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।“
नव वर्ष में इतनी कृपा करना शनि देव,
भक्तों के जीवन से दूर करना परेशानी।
हम सारे भक्त तेरी आराधना करते प्रभु,
भूलना नहीं, करना भक्तों पर मेहरबानी।
नव वर्ष में इतनी…………..
नव वर्ष में तुमको ज्यादा तेल चढ़ाएंगे,
अपने हृदय में तेरी मूरत को बसाएंगे।
सारे जग को सुंदर और स्वस्थ रखना,
खुशहाल रहे, हर किसी की जिंदगानी।
नव वर्ष में इतनी…………..
हे शनि महाराज, शिंगनापुर तेरा धाम है,
सारी दुनिया में प्रभुजी, तेरा बड़ा नाम है।
नव वर्ष में नई शक्ति दो भक्तजनों को,
कृपा में कमी नहीं, आपकी रीति पुरानी।
नव वर्ष में इतनी………..
हमेशा खुला रखना स्वामी अपना दरबार,
संकटों के सागर से लगा देना बेड़ा पार।
चैत्र नवरात्रि आई, मां भवानी आ रही हैं,
असुरी ताकतों की मिट जाएगी निशानी।
नव वर्ष में इतनी…………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
भक्ति गीत : नव वर्ष में सूर्य नारायण
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को हमारी ओर से भगवान सूर्य नारायण और मां आदिशक्ति जगत जननी दुर्गा महारानी की असीम कृपा से भारतीय संस्कृति पर आधारित सनातनी नव वर्ष के शुभ अवसर पर ढेर सारी हार्दिक शुभकामनाएं एवं अशेष बधाइयां।“
नव वर्ष में हे सूर्य नारायण, सारा अंधेरा भगा देना,
अपने सुनहरे प्रकाश से कोने कोने को चमका देना।
भारतीय संस्कृति का नव वर्ष शुरू हो रहा आज से,
प्रातः पवन में सुगंध भेज, दुनिया को महका देना।
नव वर्ष में हे सूर्य नारायण.........
भारतवर्ष सहर्ष कल नव वर्ष मना रहा देव दिनकर,
चैत्र नवरात्रि आई, मां भवानी आ रही शेर चढ़कर।
अपने ताप को नियंत्रण में रखना, भारत भूमि पर,
बागों में मुस्काती कलियों को अवश्य खिला देना।
नव वर्ष में हे सूर्य नारायण...........
अपनी सुनहरी मखमली किरणों को, विचरने देना,
चिड़ियों को बगीचों में डालियों पर, फुदकने देना।
आंधी और तूफान सारे को, रोककर रखना हे प्रभु,
बादलों का जल पीकर नववर्ष के दिन सूखा देना।
नव वर्ष में हे सूर्य नारायण..............
देना जगत जननी माता भवानी को शीतल छाया,
कहां पर धूप कहां पर छांव, सब कुछ तेरी माया।
सनातन संस्कृति आदि काल से, तेरी पूजा करती,
इस वर्ष सनातनी नव वर्ष को विशिष्ट बना देना।
नव वर्ष में हे सूर्य नारायण............
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
भक्ति गीत : नव वर्ष में मां भवानी
“आप सभी मित्रों एवं साथियों को सनातनी नव वर्ष की अग्रिम हार्दिक शुभकामनाएं एवं ढेर सारी बधाइयां।“
नव वर्ष में भक्तों की लिखना नई कहानी,
हे मां भवानी, आदि शक्ति दुर्गा महारानी।
बीमारी महामारी को भगाना अपनों से दूर,
देना जग को, अपनी शक्ति की निशानी।
नव वर्ष में भक्तों……….
तुम्हारे भक्त तुमको, करते हैं बहुत प्यार,
मां उनके जीवन से दूर कर देना अंधकार।
दे देना मैया, अपने चरण रज का उपहार,
मैया भवानी, दूर करना जग की परेशानी।
नव वर्ष में भक्तों………….
तुम महादेवी हो और तुम महाशक्ति हो,
सबसे प्रबल जग जननी तेरी भक्ति हो।
नव वर्ष में दुःख, दर्द और आंसू हर लेना,
बरसा देना, कृपा और महिमा का पानी।
नव वर्ष में भक्तों……..
अधर्म और पाप की, कर देना बिदाई,
इसी से होगी सारी दुनिया की भलाई।
बीते साल से क्या शिकायत करें हम?
तुमने तो देखी है, जग की जिंदगानी।
नव वर्ष में भक्तों…………..
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार
नासिक (महाराष्ट्र)
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