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नात शरीफ बहज़ूर-ए-कायनात : हिन्दी में लिखी हुई पाकिस्तानी नात शरीफ़

नात शरीफ बहज़ूर-ए-कायनात


वो आ गए हैं नबीؐ हमारे ये कह रही है हवा की खुशबू
वो ले के आए अरब के सहरा में फूल बन कर खुदा की खुशबू  

अज़ल उसीؐ से अबद उसीؐ से वोؐ नूर-ए-अव्वल वोؐ नूर-ए-आखिर
उसीؐ से है इब्तिदा की खुशबू उसीؐ से है इंतिहा की खुशबू

महक रही थीं गुलाब कलियाँ तो चाँद चौदह का छुप गया था  
गुलाब-ए-रहमत का मुस्कुराया जहाँ में बन कर खुदा की खुशबू

सुकून हैं वोؐ, क़रार हैं वोؐ, चमन चमन की बहार हैं वोؐ 
वोؐ बाग़-ए-हक़ का गुलाब-ए-ताज़ा उसी से क़ायम वफ़ा की खुशबू

मुअज़्ज़िन-ए-शाह-ए-बहर-ओ-बर ने अज़ान में ऐसी मिठास भर दी
महक रही है हमारे कानों में आज तक उस सदा की खुशबू

ख़ुशी से हर शाख झूमती है कली कली को वो चूमती है
सबा चमन से उड़ा के लाई है आज सल्ले अलैह की खुशबू

वो काले पत्थर वो संग-रेज़े महक उठे थे गुल इस तरह से
दुल्हन के हाथों से जैसे आए महक महक कर हिना की खुशबू

गुल बख्शालवी
+92 302 589 2786
Gul Bakhshalvi
Chief Editor Kharian Gazette
Cell: +92 302 589 2786

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