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शिकस्त-ए-नारवा क्या है?

शिकस्त-ए-नारवा क्या है?

शिकस्त-ए-नारवा एक ऐसा मुहावरा है जो उस वक्त इस्तेमाल होता है जब किसी को नाहक या नाहक तौर पर शिकस्त या नाकामी का सामना करना पड़े, या जब कोई शख्स या ग्रुप किसी ग़ैर मुनसिफ़ाना या ग़ैर मुनासिब तरीके से हार जाए। इसका मतलब ये होता है कि शिकस्त का हक़दार न होने के बावजूद उसे शिकस्त दी गई है, या मुक़ाबले में इंसाफ़ या असूलों को मद्देनज़र नहीं रखा गया।

शिकस्त नारवा की मिसाल: अगर एक फुटबॉल टीम बेहतर खेलने के बावजूद रेफरी की ग़लत फैसले की वजह से मैच हार जाए, तो इस सूरत-ए-हाल को "शिकस्त नारवा" कहा जाएगा, क्योंकि शिकस्त मुनसिफ़ाना या हक़ीक़त के मुताबिक़ नहीं हुई।

शिकस्त नारवा को रोज़मर्रा की ज़िंदगी में भी इस्तेमाल किया जा सकता है जब किसी को ग़ैर ज़रूरी तौर पर या नाहक नुकसान पहुंचाया जाए या हार का सामना करना पड़े, जैसे काम की जगह पर किसी को जानिबदाराना सुलूक का सामना करना।

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