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आंवला नवमी : आंवला वृक्ष पूजन

आंवला नवमी : आंवला वृक्ष पूजन

(भक्ति काव्य तरंग)

आंवला नवमी : आंवला वृक्ष पूजन

आंवला नवमी : आंवला वृक्ष पूजन : कविता

कार्तिक मास नवमी को यह पूजन होता है,
बढ़-चढ़कर नारी शक्ति रचती है नई कहानी।
इस पर्व में आंवला वृक्ष की, की जाती पूजा,
सनातन संस्कृति में परंपरा है बहुत पुरानी।
कार्तिक मास नवमी………..
प्रयास करें कि आंवला का कोई पत्ता न टूटे,
अपशब्द बोलने से बचें, आपसे कोई न रूठे।
पूजा पाठ के पूरे होने चाहिए विधि विधान,
तभी होती है भगवान विष्णु की मेहरबानी।
कार्तिक मास नवमी…………
जो नारी अपनी चुटकी का करती इस्तेमाल,
और डाल लेती है आंचल में थोड़ी सी खाल।
आंवला वृक्ष खाल को, रख देती तिजोरी में,
उसके जीवन में रोज आती है सुबह सुहानी।
कार्तिक मास नवमी………….
शाम को एक यहां दीया जलाना है जरूरी,
इसके बिना पूजा अर्चना लगती है अधूरी।
इससे जीवन में, हरियाली खुशहाली आती,
शीघ्र ही नजर आती इसकी सुंदर निशानी।
कार्तिक मास नवमी……………
आयुर्वेद ने सबको साफ साफ बात बताई,
आंवला से बनती, नाना प्रकार की दवाई।
इस वृक्ष से हमें स्वस्थ पर्यावरण मिलता,
सारी दुनिया लगती है आंवला की दीवानी।
कार्तिक मास नवमी………….
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना स्वरचित, मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)

आंवला नवमी


है आंवला नवमी आज। 
विष्णु जी को अति प्रिय है यह।
वास सदा आंवले में रहता।
पूजा अर्चना का विशेष महत्व, 
आंवला नवमी को होता।।

अमृत फल कहलाता आंवला।
है गुणों की खान आंवला।
चरक संहिता का मर्म है आंवला।
आयुर्वेदिक की जान आंवला ।
विटामिन सी का भंडार आंवला।।

कच्चा- पक्का कैसे भी खा लो।
गुण न कम कभी होता है।
सेहत का राज छुपा है इसमें ।
आओ सखियों! सब मिल पूजा करें हम आज। 
धन्यवाद ज्ञापित करें, सेहत का है वरदान।।

चंद्रकला भरतिया
नागपुर महाराष्ट्र

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