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दिल में महासागर | Dil Mein Mahasagar Hindi Kavita

दिल में महासागर : हिंदी कविता


विषय : दिल में महासागर
दिनांक : 28 नवंबर, 2024
दिवा : गुरुवार

दिल में महासागर

दिल में बहतीं सारी नदियाॅं,
दिल में ही महासागर होगा।
मानव की तभी अहमियत,
जब सच्चाई उजागर होगा।।
नदियों का यह मीठा पानी,
खारे पानी में मिल जाता है।
लंबाई चौड़ाई का न सीमा,
गहराई अथाह दिखाता है।।
सागर तू बना है महासागर,
तेरा निज अस्तित्व नहीं है।
नदियों के बने हो तुम पति,
किंतु तुममें पतित्व नहीं है।।
नदियाॅं तो हैं प्यास बुझाती,
जीवों को जीवन ये देती है।
सालों भर वह नम रहती,
बरसात में यह विभेती है।।
खजूर जितना धरा से ऊॅंचा,
उतना लिए तू गहराई है।
प्रेम से जो जल तेरा पीता,
उसीसे करता बेवफाई है।।
पूर्णतः मौलिक एवं
अप्रकाशित रचना
अरुण दिव्यांश
डुमरी अड्डा
छपरा ( सारण )
बिहार।

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