Header Ads Widget

Ticker

6/recent/ticker-posts

जीवन मैं बैलेंस किधर है : कविता

जीवन मैं बैलेंस किधर है : कविता


आधुनिक जीवन में बैलेंस किधर है ?
जिधर भी घुमाओ नजर चैलेंज उधर है।
जीवन का संतुलन खोकर हर मानव।
चिल्लाकर कहता देखो टैलेंट इधर है।

संतुलन नहीं है आज किसी भी क्षेत्र में।
सभी ओर हो रहा दिखावा बहुत है।
जीवन बन गया प्रतियोगिता का पर्याय।
निष्कर्ष में निकल रहा पछतावा बहुत है।

रहन-सहन खान पान भूल गए स्वदेशी आज।
भागने लगे हैं सभी पश्चिम हवा के साथ में।
अपनी सभ्यता अपनी संस्कृति सब खो चुके हम।
अब पकड़े केवल आडंबर और अश्लीलता हाथ में।

जीने की कला भी बदल रही दिनों दिन।
रात भर जागना दिन भर सोना हो गया है।
सूर्य के जगाने पर भी जागता नहीं कोई।
इसीलिए व्यक्ति का विचार संकुचित और बौना हो गया है।

रचनाकार.....
रामकुमार पटेल मुड़पार जिला बिलासपुर छत्तीसगढ़


विषय : जीवन में बैलेंस किधर है 

दिनांक : 10 नवंबर, 2024
दिवा : रविवार 
नहीं इधर है नहीं उधर है,
देखते चाहे हम जिधर हैं।
दिख न पाता निज कमाई,
जीवन में बैलेंस किधर है।। 
जीवन बैलेंस न जीवन में,
बैलेंस से व्यापार किया।
व्यापार में हो गया घाटा,
जीवन को ही उधार दिया।।
जीवन है जीवन का ऋणी,
उधार में यह उद्धार कहाॅं !
जीवन हुआ द्वेष से ग्रसित,
हमें किसी से प्यार कहाॅं !!
आना अब धरा पर दुबारे,
जीवन का ऋण चुकाने को।
बना न मन गंगा सा निर्मल,
तड़पते ही रहे पार जाने को।।
बैलेंस होता जीवन में यदि,
मिली होती जीवन से मुक्ति।
फॅंसे पड़े माया मोह जाल में,
चल नहीं पाती कोई युक्ति।।
पूर्णतः मौलिक एवं 
अप्रकाशित रचना 
अरुण दिव्यांश 
डुमरी अड्डा 
छपरा ( सारण )
बिहार।

जीवन में बैलेंस किधर है?

विधा-पद्य


जीवन में बेलेंस किधर है?
आओ आज इसका मूल्याकंन करें। 
जीवन के जंग में जरूरी है आपसी संतुलन का होना। संतुलन का दीप जलाकर,
जीवन के रखो प्रकाशित करें ।ना हो अति भौतिक सुख की इच्छा,
 ना हो किसी से प्रतिद्वंद्विता का भाव।
 तनाव और चिंता से मुक्ति पाएँ, संतुष्टि का दामन थाम कर जीवन में बेलेंस बनाएँ। 
समय प्रबंधन है इसका आधार, लक्ष्य निर्धारित कर कदम बढ़ाएँ। 
आत्मविश्वास आत्मबल का हो सहारा,
 स्वास्थ्य की भो करें रक्षा। संबंधों को मजबूत बनाकर, अपनापन का भाव फैलाएँ।
 जीवन की राह में प्रसन्नता पाएँ , 
आराम और मनोरंजन की राह चलें।
 बैलेंस करने की कला सीखें, जीवन को सुखी और संतुष्ट बनाएँ। 
जीवन में बैलेंस ही सच्चा सुख है,
 बैलेंस बनाकर नया जीवन बनाएँ।
 जीवन में बैलेंस आत्मिक सुख संतुष्टि में है।

स्वरचित रचना 
पूनम लता 
धनबाद (झारखंड)
आई डी--1601

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ