एक छोटी सी खुशी
(कविता)
एक छोटी सी खुशी कमाल करती है,
अकेली ग़मों का, बुरा हाल करती है।
उजड़ते हुए गुलशन को बचा लेती है,
सपनों की अच्छी देखभाल करती है।
एक छोटी सी खुशी……..
जीवन से बुरे दिन दूर चले जाते हैं,
अच्छे दिन फिर से लौटकर आते हैं।
पराए भी अपने जैसा बर्ताव करते हैं,
यह खुशी सवाल से सवाल करती है।
एक छोटी सी खुशी……….
टूटे हुए रिश्ते दोबारा से जुड़ जाते हैं,
रूठे हुए सारे भागते हुए घर आते हैं।
अंजाना इंसान भी हालचाल पूछता है,
खुशी कंगाल को मालामाल करती है।
एक छोटी सी खुशी……..
छोटी खुशी बाद, बड़ी खुशी आती है,
आंखों को, नए नए सपने दिखाती है।
कोई बड़ा काम आसान लगने लगता,
तभी यह दुनिया कदमताल करती है।
एक छोटी सी खुशी…….
बड़ा विचित्र लगता, दुनिया का मेला,
कोई भी नहीं दिखता है यहां अकेला।
इंसान के जीवन में भागमभाग मचा,
खुशी हर घटना का ख्याल करती है।
एक छोटी सी खुशी………
प्रमाणित किया जाता है कि यह रचना, स्वरचित मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसका सर्वाधिकार कवि/कलमकार के पास सुरक्षित है।
सूबेदार कृष्णदेव प्रसाद सिंह,
जयनगर (मधुबनी) बिहार/
नासिक (महाराष्ट्र)
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