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हनुमान जयंती - Hanuman Jayanti

हनुमान जयंती - Hanuman Jayanti


कवि कुमार निर्मल



⚜️ ⚜️⚜️☸️🕉️हनुमान जयंती🕉️☸️⚜️⚜️

श्री राम समकालीन भक्त, रामदूत स्वरुप है।
सत्यार्थी, सखा मर्यादा के, संदेश वाहक हैं।।

भक्त हनुमान जहाँ, श्रीराम भगवान्, जाते वहाँ।
विश्राम टिक पाए नहीं, श्री राम बसते हैं जहाँ।।

जहाँ तम् नहीं, निष्काम कर्मो की, खुले बही।
उचंट खाते के, संपूर्ण हिसाब, अब कर सही।।

शुभ प्रभात अनमोल, खोलें अपनी बही- मोटी-बड़ी।
हिसाब चुकाने होगें, मंगलवार की आई, शुभ घड़ी।।

पवन पुत्र हनुमान, सही को निश्चित टारें।
किए पीढ़ा में प्यार, गदा चला दुख मारें।।

पवन पुत्र हनुमान, कर्म शुभ जाप तुम्हारा।
सब कथनी से काम, तुम्हीं बनते सहारा।।

गोवर्धन और राम सेतु का, भेद आज सुनाएं।
राम- कृष्ण काल, अंतराल एकाकार बताएं।।

गोवर्धन पौराणिक कथा रोचक, सुनने में आई।
हिमालय के, द्रोणांचल पर्वत की, चर्चा आई।।

अयोध्या के सूर्यवंशी राम, सात हजार साल हुए आये।
मथुरा में कान्हा पांच हजार साल पूर्व, लीला दिखाये।।

दो हजार वर्षों का, अंतरात पटा, अद्भुत वह लीला है।
तपोबली पुलस्त्य ऋषि ऐसा, तदोपरांत नहीं मिला है।।

हिमालय तीर्थाटन, ऋषि को नैसर्गिक गोवर्धन लुभाया।
तातश्री द्रोणांचल से, स्वयं को काशिवासी वह बताया।।

निवेदन तात से विनम्र, अपने साथ ले जाउँगा।
इसके पूजन वंदन से, भवसागर तर जाउँगा।।

अनुमति पा, ऋषि गिरिराज, सर पर उठा ले आए। 
यदि गोवर्धन रखे धरा पर, वह स्थापित हो बताए।।

संयोगवश मार्ग में, तप इच्छा ऋषि हृदय में गहराई।
रखा ध्यान वर्षों, ऋषि उठाने में व्यर्थ शक्ति गवांई।।

क्रोधित ऋषि का श्राप, अहंकारी संकुचित लुप्त हो जाएगा।
तीन हजार मीटर से घटकर, तीस मीटर ऊँचा हीं तूं पाएगा।।

हनुमान लंका सेतु निर्माण हेतु पाषाण शीला लाए थे।
सेतु बनने का संदेश प्राप्त, रामेश्वरम दौड़ लगाए थे।।

इंद्र धरा पर महाप्रलय की, कुटील योजना बनाए।
कान्हा डूबते प्राणियों की, गोवर्धन धर प्राण बचाए।।

सात दिन पर्वत उठा, कनिष्ठा पर, अस्थायी नगरी बसाई।
प्रभु लीला लख, ग्वाल ग्वालिनों की आँखे अश्रुपूरित भाईं।।

इन्द्र साद, वृष्टि थमी, पर्वत को धरा पर, रखे लीलाधर।
तबसे करते सब, गोबर्धन गिरिराज की पूजा मिलकर।।

शुभ हनुमान प्राकट्योत्सव, शोभा यात्राएं, निकली भारी।
कलिकावतार संग, छाई भगुआधारियों की, सेना भारी।।

डॉ. कवि कुमार निर्मल_🖋️

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