मार्टिन लूथर: यूरोप में धर्म सुधार आंदोलन के जनक
मार्टिन लूथर (Martin Luther) पश्चिमी इतिहास के एक अत्यंत प्रभावशाली धर्म सुधारक, लेखक, और विचारक थे। उन्होंने 16वीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक चर्च के भ्रष्टाचार और अंधविश्वासों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और एक नया धार्मिक आंदोलन शुरू किया, जिसे प्रोटेस्टेंट सुधार (Protestant Reformation) के नाम से जाना जाता है।
इस लेख में हम मार्टिन लूथर के जीवन, विचारों, कार्यों, सुधार आंदोलन में उनके योगदान, और उनके प्रभाव की विस्तार से चर्चा करेंगे
मार्टिन लूथर का जीवन परिचय
• जन्म: 10 नवम्बर, 1483 ई.
• स्थान: ऐइस्लेबेन, जर्मनी (Eisleben, Germany)
• मृत्यु: 18 फरवरी, 1546 ई.
मार्टिन लूथर का जन्म एक साधारण खानदानी परिवार में हुआ था। उनके पिता एक खान में काम करते थे और चाहते थे कि लूथर एक वकील बने। लेकिन लूथर ने धार्मिक जीवन की ओर रुख किया और 1505 में ऑगस्टीनियन मठ (Augustinian Monastery) में सन्यासी बन गए।
उन्होंने 1507 में पादरी के रूप में काम शुरू किया और बाद में विटनबर्ग विश्वविद्यालय (University of Wittenberg) में धर्मशास्त्र के प्रोफेसर बन गए।
रोमन कैथोलिक चर्च के प्रति लूथर की आपत्तियाँ
16वीं शताब्दी में रोमन कैथोलिक चर्च में कई प्रकार की बुराइयाँ घर कर चुकी थीं, जैसे:
• पाप मुक्ति पत्र (Indulgences): चर्च लोगों को यह विश्वास दिलाता था कि पैसे के बदले पापों से मुक्ति पाई जा सकती है।
• चर्च में भ्रष्टाचार: उच्च पदों पर बैठे पादरी भ्रष्ट, विलासी और धनलोलुप हो गए थे।
• धार्मिक ग्रंथों को केवल लैटिन में पढ़ाया जाता था, जिससे आम जनता धर्म से दूर हो गई थी।
मार्टिन लूथर ने इन सभी बुराइयों के विरुद्ध आवाज़ उठाई और कहा कि मोक्ष केवल विश्वास (faith) और ईश्वर की कृपा (grace) से ही संभव है, न कि चर्च के नियमों या दान से।
95 थेसिस और धर्मसुधार आंदोलन की शुरुआत
31 अक्टूबर, 1517:
इस दिन मार्टिन लूथर ने "95 थेसिस" नामक एक दस्तावेज़ को विटनबर्ग चर्च के दरवाज़े पर टांग दिया।
इसमें उन्होंने चर्च की बुराइयों, विशेष रूप से पाप मुक्ति पत्रों की बिक्री की तीव्र आलोचना की।
मुख्य बिंदु:
• ईश्वर से क्षमा केवल सच्चे पश्चाताप से मिलती है, पैसे से नहीं।
• पोप को पाप क्षमा करने का अधिकार नहीं है।
• चर्च की शक्ति सीमित है और ईश्वर सर्वोच्च है।
प्रभाव:
• यह घटना यूरोप भर में चर्चा का विषय बन गई।
• लूथर के विचारों ने एक नई धार्मिक चेतना को जन्म दिया।
• प्रिंटिंग प्रेस की सहायता से लूथर की थेसिस पूरे यूरोप में फैलाई गई।
लूथर और चर्च के बीच टकराव
मार्टिन लूथर की गतिविधियाँ चर्च को सहन नहीं हुईं।
• 1521 में पोप लियो X ने लूथर को बहिष्कृत (Excommunicated) कर दिया।
• उसी वर्ष, चार्ल्स पंचम (Holy Roman Emperor Charles V) ने लूथर को वॉर्म्स की सभा (Diet of Worms) में बुलाया और विचार बदलने को कहा, लेकिन लूथर अडिग रहे।
• लूथर ने कहा –
“मैं यहीं खड़ा हूँ, मैं और कुछ नहीं कर सकता।”
लूथर को गिरफ्तार करने के आदेश दिए गए, लेकिन सेक्सनी के राजा फ्रेडरिक ने उन्हें संरक्षण दिया और वे वार्टबर्ग किले में छुप गए।
बाइबिल का अनुवाद और जनभाषा में धर्म
लूथर ने बाइबिल का लैटिन से जर्मन भाषा में अनुवाद किया। यह आम जनता के लिए क्रांतिकारी कदम था।
इससे हुआ यह:
• अब आम लोग भी बाइबिल पढ़ने और समझने लगे।
• धर्म केवल पादरियों तक सीमित न रहकर जनसामान्य तक पहुँच गया।
• लूथर के विचारों ने धार्मिक लोकतंत्र की नींव रखी।
लूथर की शिक्षाएँ और सिद्धांत
(1) "Sola Fide" (केवल विश्वास):
मोक्ष केवल विश्वास से मिलता है, न कि कर्म या दान से।
(2) "Sola Scriptura" (केवल शास्त्र):
ईश्वर का सत्य केवल बाइबिल में है, पोप और चर्च के आदेशों में नहीं।
(3) चर्च का विकेंद्रीकरण:
चर्च का हर सदस्य समान है – पादरी और आमजन में कोई ऊँच-नीच नहीं।
(4) संस्कारों की संख्या कम की:
कैथोलिक चर्च सात संस्कारों को मानता था, लूथर ने उन्हें घटाकर केवल दो (बपतिस्मा और प्रभु भोज) कर दिया।
लूथर का प्रभाव और विरासत
मार्टिन लूथर के आंदोलन से यूरोप में प्रोटेस्टेंट धर्म की स्थापना हुई, जिसमें लूथरनिज़्म (Lutheranism), केल्विनिज़्म (Calvinism), एंग्लिकनिज़्म (Anglicanism) आदि प्रमुख हैं।
(क) धार्मिक प्रभाव:
• रोमन कैथोलिक चर्च का प्रभुत्व टूटा।
• धर्म में स्वतंत्र विचार और विवेक को महत्व मिला।
(ख) सामाजिक प्रभाव:
• शिक्षा और बाइबिल अध्ययन को बढ़ावा मिला।
• महिलाओं की धार्मिक भागीदारी बढ़ी।
(ग) राजनीतिक प्रभाव:
• राजाओं और रियासतों ने चर्च की शक्ति से स्वतंत्रता पाई।
• राष्ट्र-राज्यों का उदय हुआ।
निष्कर्ष
मार्टिन लूथर ने धार्मिक इतिहास की धारा को मोड़ दिया। उन्होंने ना केवल चर्च की गलतियों को उजागर किया बल्कि धर्म को व्यक्तिगत आस्था का विषय बनाया। उनकी शिक्षाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और उनके विचारों ने आधुनिक यूरोपीय इतिहास, संस्कृति, समाज और राजनीति को गहराई से प्रभावित किया।
इसलिए, मार्टिन लूथर केवल एक धर्मसुधारक नहीं, बल्कि मानवता के इतिहास में क्रांति लाने वाले महान विचारक थे।
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